डुमरियागंज - लोकसभा क्षेत्र
- कुल मतदाता - १७६१४१५
- महिला- ७९९३१३,
- पुरुष - ९६१९५७
- वर्तमान सांसद - जगदम्बिका पाल
राज कमल त्रिपाठी: नेपाल राष्ट्र से सीमा साझा करने वाली यह संसदीय सीट जनपद सिद्धार्थनगर को कवर करती है। भाजपा के जगदंबिका पाल यहां से वर्तमान सांसद हैं। तथागत बुद्ध का क्रीड़ास्थल कपिलवस्तु भी यहीं है। इस क्षेत्र का सिद्धार्थनगर 'काला नमक' चावल के लिए दुनिया भर में काफी मशहूर है। आयरन और जिंक से भरपूर इन चावलों का ज़िक्र संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि सम्बन्धी संस्था ने अपनी किताब 'स्पेसिअलिटी राइस ऑफ वर्ल्ड' में भी किया है।
डेमोग्राफी, विधानसभा और मुद्दे
इस क्षेत्र में आज भी विकास की गति काफी धीमी है। औद्योगिक विकास पिछड़ा है। यह जनपद नीति आयोग द्वारा देश के 100 सर्वाधिक पिछड़े जनपदों में शीर्ष 10 में शामिल है। शिक्षा, स्वास्थ्य के मुहाने पर भी उदासी है। यहां की आबादी 25,59,297 लाख है। विकास यहाँ मुख्य चुनावी मुद्दा है। इस लोकसभा क्षेत्र में डुमरियागंज, शोहरतगढ़, कपिलवस्तु, बांसी, इटवा विधानसभा सीट शामिल है।डुमरिया गंज की खास बातें
डुमरिया गंज लोकसभा क्षेत्र सिद्धार्थनगर जिले को कवर करता है। इस लोकसभा क्षेत्र में डुमरियागंज, शोहरतगढ़, कपिलवस्तु, बांसी, इटवा विधानसभाएं आती हैं। यहां से पहले सांसद केडी मालवीय रहे थे। वहीं वर्तमान सांसद यहां से भाजपा के जगदंबिका पाल हैं। 23 दिसम्बर 1988 को बस्ती से अलग कर सिद्धार्थनगर बनाया गया था।वर्तमान सांसद के बारे में
डुमरिया गंज लोकसभा क्षेत्र के वर्तमान सांसद जगदम्बिका पाल है, आप १.७८ करोड़ की घोषित संम्पत्ति के मालिक है, एम ए, एल एल बी की शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं,आप कई बार पार्टी बदल चुके हैं, जगदम्बिका पाल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के एक नेता हैं। वर्तमान समय में वह लोकसभा के सदस्य हैं। मई, 2014 में 16वीं लोक सभा के लिए दूसरी बार निर्वाचित हुए। एक सितम्बर 2014 से विशेषाधिकार समिति, परामर्शदात्री समिति, सड़क पिरवहन और राजमार्ग और पोत परिवहन मंत्रालय, ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति के सदस्य हैं। 3 दिसम्बर 2014 से कार्य मंत्रणा समिति सदस्य हैं। 1 मई 2015 से संसद भवन परिसर में सुरक्षा संबंधी संयुक्त समिति के सदस्य हैं। 11 मई 2016 से प्रतिभूति हितों का प्रवर्तन और ऋण वसूली विधि तथा प्रकीर्ण उपबंध संशोधन विधेयक, 2016 संबंधी संयुक्त समिति के सदस्य हैं। एक सितम्बर 2018 से गृह संबंधी स्थायी समिति के सदस्य हैं
एक रात के मुख्यमंत्री
21 फरवरी 1998 का दिन था, यूपी के तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को बर्खास्त कर जगदंबिका पाल को रात में 10.30 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। जगदंबिका पाल कल्याण की ही सरकार में ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर थे लेकिन उन्होंने विपक्षियों के साथ साठ-गांठ कर मुख्यमंत्री पद कब्जा कर लिया। अटल बिहारी वाजपेयी को यह फैसला अच्छा नहीं लगा और उन्होंने आमरण अनशन शुरू कर दिया। रात को ही सभी लोग हाई कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट ने अगले दिन राज्यपाल के आदेश पर रोक लगा दी और कल्याण सिंह सरकार को बहाल कर दिया। उस दिन राज्य सचिवालय में अजीब नज़ारा देखने को मिला। वहां दो-दो मुख्यमंत्री बैठे हुए थे। जगदंबिका पाल पहले से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो गए, जब उन्हें हाई कोर्ट का आदेश लिखित में मिला तब बड़े भारी मन से कल्याण सिंह के लिए कुर्सी छोड़कर चले गए। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 26 फरवरी को एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन हुआ। इसमें कल्याण सिंह की जीत हुई।
शपथ लेते समय भूले
शपथ ग्रहण २०१४ में शपथ संस्कृत में संभवत: कंठस्थ करके आए पाल ने संभल-संभलकर बोलना शुरू किया, लेकिन बीच में वे कुछ भूल गए और फिर उन्हें मुद्रित पृष्ठ की मदद लेकर पढ़ना पड़ा। भोजपुरी अभिनेता एवं गायक मनोज तिवारी ने बगैर पढ़े धाराप्रवाह हिन्दी में शपथ ली थी और सदस्यों ने इसके लिए उनकी वाहवाही की। पाल भी कुछ उसी अंदाज में बोलने चले लेकिन बीच में कुछ भूल गए और इस पर सदन में बैठे सदस्य हंस पड़े।
असहज हुए पाल ने फिर लोकसभा सचिवालय के अधिकारियों से मुद्रित पृष्ठ लेकर शपथ पूरी की। पाल ने शुरुआत में हालांकि मुद्रित पृष्ठ लेने से इंकार कर दिया था।
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