मेरा गाँव

मेरा गांव भी भारत के लाखों गांवों जैसा ही है ! यह भारत के प्रदेश उत्तर प्रदेश (यु०पी०) के गौतम बुद्ध की धरती के रूप में जाने जाने वाले सिद्धार्थ नगर जिले के इटवा तहसील में स्थित एक साफ सुथरी छवि वाला गाँव है ! मेरे इस गाँव का नाम कठेला बाज़ार है! गाँव के उत्तर में राप्ती नदी का एक रूप जिसे हम बूढी राप्ती कहते हैं कलकल करती हुई बहती है ! चारों और खेतों की हरियाली गाँव की शोभा बढ़ा रही है ! बाग बगीचे और विविध वनस्पतियाँ इसके प्राकर्तिक सोंदर्य में चार चाँद लगा देती है ! गाँव के पूरब दिशा में एक बड़ा ही प्रसिद्ध मंदिर है जिसे लोग समय माता के मंदिर के नाम से जानते हैं और यहीं पर एक भव्य शिव मंदिर भी है, बहुत दूर दूर के लोग भी यहाँ अपनी मन्नते मागने आते हैं! पाठशाला और अस्पताल गाँव के बाहर है !

गाँव के सभी वर्णों के लोग बिना किसी भेदभाव के रहते है ! मेरे गाँव के लोग बहुत उद्यमी और संतोषी है ! गाँव के लोगों की सभी जरूरतों की पूर्ति गाँव के लोग ही विविध उद्द्योगों के माध्यम से करते है ! प्रत्येक मंगलवार को मेरे गाँव में भजन-कीर्तन का कार्यक्रम भी होता है ! गाँव में अधिकतर किसान और व्यापारी वर्ग के लोग रहते है ! अनेक देवी-देवताओं में उनका अटूट विशवास है ! होली के रंग सबके ह्रदय में हर्ष और उल्लास भर देते हैं, तो दिवाली की रोशनी से सबके दिल जगमगा उठते है ! नववर्ष पर पुरे गाँव के लोग मिल कर रंगारंग कार्यकर्म मानते है तो दशहरा में कई स्थानों पर दुर्गा प्रतिमा भी स्थापित की जाती है !

ग्रामपंचायत में सक्रिय युवाओं का एक समूह कार्यरत है, जिसे लोगों ने समर्पण सेना का नाम दिया है ! समर्पण सेना के सभी प्रहरी गाँव में शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति, एवं सभी सरकारी योजनायों को जन मानस तक पहुँचाने के जागरूक रहते हैं! गाँव के बच्चे उत्साह से पाठशाला में पढ़ते हैं ! ग्राम पंचायत में अलग अलग दिन अलग अलग स्थानों पर बाज़ार लगाये जाते हैं जैसे शुक्रवार को कठेला कोठी तो शनिवार को कठेला गाँव में बाजार लगता है ! यहाँ घरेलु उपयोग की सभी चीजें मिलती हैं !

मेरे गाँव के लोगों में कभी-कभी छोटी-छोटी बातों को लेकर कहा-सुनी हो जाती है, लेकिन गावं के लोग उन्हें आपस में ही सुलझा लेते है ! गांव के कुछ लोग भांग, तंबाखू का सेवन भी करते हैं ! कुछ लोग सफाई की ओर विशेष ध्यान नहीं देते !

फिर भी मेरा गाँव अपने आप में अच्छा हैं ! यहाँ प्रकर्ति की शोभा हैं, स्नेहभरे लोग हैं, धर्म की भावना हैं और मनुष्यता का प्रकाश है ! भोल-भाले स्त्री-परूष, स्नेहभरे भाभी-देवरों और सरल बच्चों से हरा-भरा यह मेरा गाँव मुझे बहुत प्यारा है !

3 comments:

  1. Replies
    1. कठेला क्षेत्र के विकास के लिए आप जैसे होनहारों के सहयोग की आवश्कता है क्षेत्र के लोगों को जागरूक करें की ओ अपने अधिकारों को समझें

      Delete