बाढ़ खत्म जैसे होगा एक और मुसीबत आएगा।
यह प्रशासन फिर पिछली सरकार पे दोष लगाएगा।।
अब दूषित पानी होगा, मरे पशु सड़ जाएंगे।
आबो हवा बिगड़ जाएगी और रोग फैलाएगा।।
बीमार पड़ेंगे बूढ़े बच्चे कहो कहाँ तुम जाओगे।
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की हालत जस की तस तुम पाओगे।।
नहीं डॉक्टर नहीं दवाई, एम्बुलेंस में नहीं है तेल।
वर्षों से हम जनपद वासी ऐसी जिल्लत रहे हैं झेल।।
बीमारी से तड़फ तड़फ जब फिर बच्चे मर जायेंगे।
जाँच एक और फिर बैठेगी, दोषी ढूढ़े जाएंगे।।
कुछ होंगे निष्काषित और कुछ पैसा दे बच जाएंगे।
लाचार बने हम कंधों पर बस नन्ही लाश उठाएंगे।।
पिछली सरकार निकम्मी थी चलो ये हमने मान लिया।
बाढ़ बिपत में देख लिया, इस शासन ने क्या काम किया।।
7 का आलू 14 में ले साहब हमको बाट रहे।
भूखे पेट पड़े हैं हम, वो दूध मलाई काट रहे।।
पिछली सरकारों का साहब रोना-रोना बन्द करो।
बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य का अब तुम तो प्रबन्ध करो।।
सब सरकारें ऐसी ही हैं, इस सत्य बात को मान लो तुम।
बचना खुद ही इस बिपदा से , ये अपने मन मे ठान लो तुम।।
कविता में जो बात कही है उन बातों पर करो अमल।
खुद रक्षा करना सीख लो अपना, सच कहता है *राज कमल*।।
इस कविता को बिना छेड़छाड़ किये मूल रुप से शेयर कर अपने प्रियजनों को सतर्क कर दें।
*राज कमल त्रिपाठी*
7570901369
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